ट्रोलरों से परेशान मेकअप सेलिब्रिटी आर्टिस्ट यश सिंह ने दी जान

खबरों की दुनिया, हल्द्वानी

ईश्वर ने इस सृष्टि की रचना की है — हर पेड़, हर फूल, हर नदी, हर इंसान… सब उसकी अनमोल कारीगरी का हिस्सा हैं। उसकी बनाई हर रचना में एक खास वजह, एक अलग सुंदरता छुपी होती है। इस कुदरत की एक रचना थी यस यस जिसे बचपन से ही पेंटिंग्स और मेकअप का बहुत शौक था वह जो कुछ भी बना था उसमें जीवन के रंग भर देता बचपन में सब कुछ ठीक-ठाक था लेकिन जैसे-जैसे वह बड़ा होता गया उसकी शारीरिक बनावट और गतिविधियों में परिवर्तन होने लगा वह समाज के अन्य लड़कों से अलग नजर आने लगा था और इसका उसे और उसके परिवार को भी आभास होने लगा कि वह दूसरे लड़कों की तरह सामान्य नहीं है बावजूद इसके ना तो उसे कोई चिंता थी और ना ही उसके परिवार को उसके परिवार वालों ने उसे उसी रूप में अपना लिया यस पड़ा हुआ और धीरे-धीरे अपने हुनर से ही अपने परिवार का सहारा बन गया बूढ़े मां-बाप का वही इकलाता सहारा था उनके बुढ़ापे की लाठी था लेकिन जब भी वह घर से बाहर निकलता आसपास के लोग उसे ट्रोल करने लगते कोई छक्का बोलना तो कोई समाज के लिए कलंक यह सब सुनकर यश चुपचाप वहां से गुजर जाता लेकिन रोज के इन तानों ने उसे भी तरह ही भीतर तोड़ दिया वह अंदर ही अंदर गुप्ता रहा उसने भीतर से आपको अपने आप को मजबूत बनाने की बहुत कोशिश की इन लोगों के तानों का मन रहकर जवाब दे दिया लेकिन अंतत एक दिन वह हार गया और उसने अपने जीवन का अंत करने का फैसला ले लिया मरने से पहले यस सभी को यह दुआ दे दिया कि भगवान उनके घर में भी एक ने एक छक्का पैदा करें तभी उन्हें छक्के और छक्के के परिवार वालों के दर्द का आभास हो सकेगा वह अगर छक्का भी था तो उसमें उसका कोई दोस्त तो नहीं था ईश्वर ने उसकी रचना की थी जिसमें उसकी कोई भागीदारी नहीं थी फिर जब वह ईश्वर की रचना है तो फिर समझ में उसे क्यों नहीं स्वीकारा जा रहा क्यों उसे परेशान किया जा रहा है लोगों के दोनों ने यश को तोड़ दिया और वह अपनी जिंदगी को अलविदा कह कर चला गया क्या छक्का होना एक अपराध है क्या वह किसी की कार्य में बाधा बन रहा था क्या उसने किसी को नुकसान पहुंचा क्या उसने कोई बड़ा अपराध किया नहीं छक्का होना अपराध नहीं है अपराध है उसको तने देना इस पर एक बढ़िया सी कहानी लिख दीजिए

मेकओवर यश — एक होनहार, प्रतिभाशाली मेकअप आर्टिस्ट, जो दूसरों को सुंदरता का एहसास कराता था, जो अपनी कला से लोगों के चेहरे पर मुस्कान लाता था…आज वो इस दुनिया में नहीं रहा। क्यों? सिर्फ इसलिए कि कुछ लोगों को उसकी शारीरिक बनावट या उसकी शैली “अलग” लगी? क्या ये वजह थी कि उसे ट्रोल किया गया, अपमानित किया गया…इतना कि उसे अपनी जान देने तक मजबूर कर दिया गया?

जरा सोचिए, क्या दोष था उसका?

क्या उसने किसी का बुरा किया? क्या उसने किसी का हक छीना? क्या उसने किसी को तकलीफ दी? नहीं। वो बस अपने सपनों में जी रहा था, अपने हुनर से दुनिया को रंगने की कोशिश कर रहा था।

अगर कुदरत ने किसी को अलग बनाया है — तो क्या उसमें उसकी कोई गलती है? किसी के शरीर में कोई कमी हो, आवाज़ में फर्क हो या रूप में भिन्नता — ये कोई अपराध नहीं है। अपराध है उस कमी का मज़ाक बनाना। अपराध है उस पर तंज कसना। और सबसे बड़ा अपराध है किसी को इस कदर तोड़ देना कि वो जीने की चाह ही खो दे।

अब ज़रा एक बार आईने में खुद को देखिए…

क्या आप परफेक्ट हैं? क्या आपमें कोई कमी नहीं? अगर आज आप किसी को उसकी “अलग पहचान” के लिए नीचा दिखा रहे हैं, तो कल आपकी कोई पहचान आपको समाज के कटघरे में खड़ा कर सकती है।

यश को जाना नहीं चाहिए था… जाना उन्हें चाहिए जो किसी की आत्मा को मार डालते हैं… जो शब्दों के ज़हर से किसी का जीवन निगल जाते हैं। हम इंसान हैं — हमें इंसानियत नहीं भूलनी चाहिए। अब भी वक्त है… रुक जाइए। सोचिए। समझिए। किसी की मुस्कान के पीछे छुपे दर्द को पढ़ने की कोशिश कीजिए। और अगर आप मदद नहीं कर सकते, तो कम से कम किसी को उसकी कमी के लिए तिरस्कृत भी मत कीजिए। क्योंकि हर बार जो मरता है, वो सिर्फ एक इंसान नहीं होता… उसके साथ मर जाते हैं उसके सपने, उसका आत्मविश्वास और एक उम्मीद… कि दुनिया कभी बदल सकती है।

Harish Upreti Karan

पिछले 20 वर्षों से दैनिक जागरण, हिंदुस्तान व अमृत विचार में पत्रकार के रूप में कार्य करने के अलावा चार काव्य संग्रह प्रकाशित, आकाशवाणी रामपुर व अल्मोड़ा से विभिन्न रचनाओं का प्रसारण, हिंदी फिल्म "यंग बाइकर्स" के लिए गीत लेखन, पर्यटन विभाग के लिए बनी डॉक्यूमेंट्री फिल्म "चंपावत एक धरोहर" की स्क्रिप्ट राइटिंग, कुमाऊनी फिल्म "फौजी बाबू", "पधानी लाली", रंगमंच के विभिन्न नाटकों में अभिनय, कुमाऊनी गीत "पहाड़ छोड़ दे" और "काली जींस" का लेखन व गायन, फिल्म राइटर्स एसोसिएशन मुंबई का सदस्य