लड़की जो मरने के बाद बनी दुल्हन

प्रेमिका की मौत के बाद शव से की शादी, प्रेम की ऐसी मिसाल जिसने सबको रुला दिया

महराजगंज (उत्तर प्रदेश)। “तुम्हें दुल्हन बनाने का वादा था… और मैं वादे से पीछे नहीं हटूंगा.. तुझमें प्राण नहीं तो क्या, तेरी रूह से ब्याह करुंगा”– प्रेम की इस अंतिम कसम ने पूरे शहर को भावुक कर दिया। एक तरफ दुल्हन बनने के सपने थे, दूसरी तरफ एक युवक का टूटा संसार। लेकिन प्रेम ने मरने के बाद भी वचन नहीं टूटने दिया। यह मार्मिक घटना महाराजगंज जिले के निचलौल थाना क्षेत्र की है, जहां प्रेमी सन्नी मद्धेशिया ने अपनी मृत प्रेमिका प्रियंका (22) के शव से विवाह कर, उसे सुहागन की तरह अंतिम विदाई दी। जिस लड़की को उसने सात जन्मों का साथ देने का वादा किया था, उसकी मौत के बाद भी उसने वचन निभाया — और प्रेम को अमर कर गया। प्रियंका की आत्महत्या की खबर ने सन्नी की दुनिया उजाड़ दी। वह टूट गया, लेकिन हारा नहीं। शव के पास पहुंचते ही उसकी आंखें भर आईं, उसने बस एक बात कही –”मैंने वादा किया था, और वादा निभाऊंगा… तुम्हारी अर्थी दुल्हन की तरह ही उठेगी।”

सन्नी के इस प्रेम को देख रोते-बिलखते प्रियंका के परिजन भी झुक गए। उन्होंने बेटी की अर्थी को सुहागन की तरह विदा करने की रजामंदी दे दी। फिर पूरे वैदिक विधि-विधान से, पंडित के मंत्रों के बीच, प्रेमी ने मृत प्रेमिका की मांग में सिंदूर भरा। विवाह सम्पन्न हुआ। विवाह मंडप शोक का धाम बन गया — जहां मंगल गीतों की जगह सिसकियां थीं, और हर आंख नम थी। विवाह के बाद सन्नी ने पति के रूप में अपने हाथों से प्रियंका के शव को मुखाग्नि दी। यह क्षण न केवल पीड़ा से भरा था, बल्कि एक अनोखी प्रेमगाथा का साक्षी भी। किसी शव के साथ विवाह की यह पहली घटना थी, जिसने पूरे जिले को स्तब्ध कर दिया। लोगों ने कहा “ये सिर्फ प्रेम नहीं था, यह आत्मा से जुड़ा बंधन था… जिसने मृत्यु के बाद भी साथ निभाया।”

प्रेम कहानी जो अधूरी होकर भी अमर हो गई

सन्नी और प्रियंका की प्रेम कहानी एक आम शुरुआत से शुरू हुई — दुकान पर रोज़ मिलना, बातों का सिलसिला, और फिर गहराता प्रेम। परिजनों ने शुरू में ऐतराज़ किया, लेकिन अंततः 29 नवंबर की शादी तय हो गई। दोनों अपने घर-आंगन बसाने के सपने देख रहे थे, तभी एक अज्ञात कारण से प्रियंका ने फांसी लगाकर जान दे दी। लेकिन… उस शाम के बाद जो हुआ, उसने इस कहानी को एक ‘अमर प्रेम कथा’ बना दिया। यह केवल एक खबर नहीं, एक ऐसा वचन है जिसे मृत्यु भी तोड़ नहीं सकी। यह कहानी है उस प्रेम की, जो समाज की सीमाओं से परे जाकर भी सत्य और संकल्प पर अडिग रहा।

 

 

Harish Upreti Karan

पिछले 20 वर्षों से दैनिक जागरण, हिंदुस्तान व अमृत विचार में पत्रकार के रूप में कार्य करने के अलावा चार काव्य संग्रह प्रकाशित, आकाशवाणी रामपुर व अल्मोड़ा से विभिन्न रचनाओं का प्रसारण, हिंदी फिल्म "यंग बाइकर्स" के लिए गीत लेखन, पर्यटन विभाग के लिए बनी डॉक्यूमेंट्री फिल्म "चंपावत एक धरोहर" की स्क्रिप्ट राइटिंग, कुमाऊनी फिल्म "फौजी बाबू", "पधानी लाली", रंगमंच के विभिन्न नाटकों में अभिनय, कुमाऊनी गीत "पहाड़ छोड़ दे" और "काली जींस" का लेखन व गायन, फिल्म राइटर्स एसोसिएशन मुंबई का सदस्य