
खबरों की दुनिया | हल्द्वानी
हल्द्वानी के टांडा जंगल में जब 11 जून की दोपहर एक लाश मिली, तो पुलिस के सामने एक सीधा-सा सवाल था—किसने और क्यों? मगर जैसे-जैसे पुलिस ने तहकीकात की परतें खोलीं, वैसे-वैसे सामने आया एक बेहद हैरान करने वाला और दिल दहला देने वाला सच। जिसने रक्षात्मक रिश्ता निभाना था, उसी ने मौत का सौदा किया। मृतक भूपेंद्र सिंह चौहान (निवासी गढ़गंगा, गढ़मुक्तेश्वर, हापुड़), एक प्रॉपर्टी डीलर थे, जो गंगापुर रोड, रुद्रपुर (ऊधमसिंहनगर) में अपने परिवार के साथ रहते थे। उनका अपराध? अपने ‘मुंहबोले साले’ पर भरोसा करना।
3 साल में 10 लाख का कर्ज बना जान का दुश्मन
हत्या के पीछे था एक ही मकसद — 10 लाख रुपये का कर्ज न चुकाना। भूपेंद्र के साथ काम कर रहा बालम सिंह बिष्ट, जो रिश्ते में मुंहबोला साला था, ने पिछले तीन साल में उनसे लाखों रुपये उधार लिए। जब चुकाना मुश्किल हुआ, तो उसने चुना सबसे खौफनाक रास्ता — हत्या।
1 लाख में खरीदे गए दो ‘कत्ल के साथी’
बालम ने अपने दो नशे के लती साथियों – हरीश सिंह नेगी (पनियाली) व उमेश सिंह बोरा उर्फ अनिया (कठघरिया) को साथ लिया और वादा किया कि हत्या के बाद उन्हें 50-50 हजार रुपये मिलेंगे।
10 जून को बालम ने भूपेंद्र को कॉल कर कहा – पैसे लेने आ जाओ भूपेंद्र भरोसे के साथ मिलने पहुंचा। चारों पहले गूलरभोज डैम गए, वहां दो ‘सुपारी किलर’ पहले से मौजूद थे। बाद में रास्ता मोड़ा गया टांडा जंगल की तरफ। बीच जंगल में, अचानक बालम ने मोटा डंडा उठाया और पीछे से भूपेंद्र के सिर पर कई वार कर डाले। जब तक भूपेंद्र की सांसें बंद नहीं हो गईं, वार बंद नहीं हुआ। हत्या के बाद तीनों आरोपी मौके से फरार हो गए। अगले दिन, भूपेंद्र के बेटे करन ने पोस्टमार्टम हाउस पहुंचकर शव की शिनाख्त की और मुकदमा दर्ज कराया। एसपी सिटी प्रकाश चंद्र ने टीम के साथ आरोपियों को टांडा जंगल के नादिया धाम मंदिर के पास से गिरफ्तार किया। पूछताछ में तीनों ने अपना जुर्म कबूल किया और हत्या में इस्तेमाल किया गया डंडा भी जंगल से बरामद कर लिया गया।भूपेंद्र की मौत एक वारदात नहीं, एक चेतावनी है- रिश्ते अब खून के नहीं, जरूरत के हो चले हैं। जिसने भाई जैसा अपनाया, उसने मौत जैसा धोखा दिया।अब तीनों सलाखों के पीछे हैं, लेकिन एक परिवार का विश्वास और एक बेटे का भविष्य – शायद हमेशा के लिए घायल रहेंगे।





