खबरों की दुनिया, सितारगंज
सितारगंज क्षेत्र में ग्राम पिंडारी निवासी बख्शीश सिंह की 23 वर्षीय विवाहिता पुत्री काजल कौर की मौत से स्वास्थ्य व्यवस्था पर उठ रहे हैं।। पीड़ित पिता ने कोतवाली में तहरीर देते हुए बताया कि 21 जुलाई की रात प्रसव पीड़ा के चलते काजल को सरकारी अस्पताल सितारगंज में भर्ती कराया गया, जहां तैनात महिला डॉक्टर ने इलाज की असुविधा का हवाला देकर उसे निजी हॉस्पिटल ले जाने की बात कही और खुद उसे वहां ले गई। वहां उसने प्राइवेट डॉक्टर के साथ मिलकर ऑपरेशन के नाम पर 26 हजार रुपये की मांग की और इलाज के नाम पर लगातार झूठी तसल्ली देते रहे। 22 जुलाई को ऑपरेशन के बाद मां-बेटे दोनों की हालत बिगड़ती रही, लेकिन निजी अस्पताल की ओर से गंभीर स्थिति को छुपाया गया। नवजात को दूसरे निजी हॉस्पिटल में आईसीयू में भर्ती कराया गया, जबकि मां को बिना निगरानी बेहोश हालत में छोड़ दिया गया। हालत इतनी बिगड़ गई कि 24 जुलाई को काजल को भी गंभीर अवस्था में सुशीला तिवारी अस्पताल हल्द्वानी रेफर किया गया और फिर 26 जुलाई को देहरादून के हिमालय हॉस्पिटल में भर्ती कराना पड़ा। अंततः इलाज के अभाव और लगातार लापरवाही के चलते 3 अगस्त की सुबह काजल की मौत हो गई। पीड़ित परिजनों का आरोप है कि सरकारी डॉक्टर और निजी अस्पताल प्रबंधन ने कमीशन के चक्कर में जान से खिलवाड़ किया। डॉक्टरों ने मृत्यु के संभावित खतरे की जिम्मेदारी से बचने के लिए कागज़ों पर हस्ताक्षर करवाने का दबाव भी बनाया। इस हृदयविदारक घटना ने न सिर्फ एक बेटी की जान ली, बल्कि नवजात शिशु को मां की ममता से भी वंचित कर दिया। अब परिजनों ने इंसाफ की मांग करते हुए दोषी डॉक्टरों और अस्पताल के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।






