पथरी के इलाज को आए युवक की ऑपरेशन के बाद मौत

बुधवार को निजी हॉस्पिटल में हुआ था गुर्दे की पथरी का ऑपरेशन

खबरों की दुनिया, हल्द्वानी

शहर के एक निजी अस्पताल में पथरी के इलाज के लिए आए युवक की ऑपरेशन के बाद मौत हो गई। जिसके बाद अस्पताल में जमकर हंगामा हुआ। सूचना पर पहुंची पुलिस ने किसी तरह शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा। अगली सुबह पोस्टमार्टम हाउस में भी जमकर हंगामा हुआ। परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर मुकदमा दर्ज करने की मांग की है। परिवार में इकलौते कमाने वाले की मौत से कोहराम मचा है।

मूलरूप से काफड़ा द्वाराहाट अल्मोड़ा निवासी ललित मोहन, हल्द्वानी में रामपुर रोड स्थित किशनपुर घुड़दौड़ा में पत्नी, दो बेटे व मां के साथ रहते थे। उनका एक भाई भी है, जो बेरोजगार है। ललित, रुद्रपुर स्थित टाटा की वेंडर कंपनी में काम करते थे। परिजनों का कहना है कि ललित के गुर्दे में पथरी थी। ललित के गांव निवासी एक चिकित्सक से उन्होंने दिक्कत साझा की थी। डॉक्टर हल्द्वानी के एक निजी अस्पताल में काम करता था। डॉक्टर ने ललित को ऑपरेशन कराने की सलाह दी थी। डॉक्टर गांव को होने के कारण ललित उसी निजी अस्पताल में पहुंचे जहां डॉक्टर काम करता है। खुद चलकर अस्पताल पहुंचे ललित का बुधवार को ऑपरेशन किया गया, लेकिन इसके बाद उन्हें होश नहीं आया। ऑपरेशन के बाद ललित की हालत ठीक बताने वाले चिकित्सक दो घंटे बाद उनकी हालत गंभीर बताने लगे। चिकित्सकों ने ललित के परिजनों से उन्हें किसी और अस्पताल ले जाने को कहा। परिजन दूसरे अस्पताल पहुंचे तो चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। जिसके बाद परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। हंगामा हुआ तो पुलिस भी मौके पर पहुंच गई। परिजन मामले में मुकदमा दर्ज करने की मांग करने लगे। किसी तरह समझाबुझा कर पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा, लेकिन परिजनों का गुस्सा शांत नहीं हुआ। पोस्टमार्टम में तो एक बार परिजनों ने बिना मुकदमा शव लेने से भी इंकार दिया। हालांकि बाद में शव लिया और रानीबाग में अंतिम संस्कार किया। कोतवाल अमर चंद्र शर्मा ने बताया कि मामले में तहरीर नहीं मिली है और मौत की असल वजह तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही सामने आएगी।

ज्यादा तो नहीं दे दिया एनिस्थीसिया का डोज : परिजनों का कहना है कि ऑपरेशन से पहले ललित पूरी तरह स्वस्थ था। पथरी के सिवा उसे शरीर में किसी तरह की दिक्कत नहीं थी। पूरी तसल्ली के बाद ही अस्पताल में 24 सितंबर की दोपहर एक बजे ऑपरेशन किया गया। शाम 4 बजते-बजते ललित को सांस लेने में दिक्कत होने लगी और फिर उसकी मौत हो गई। परिजनों ने आशंका जताई है कि या तो ऑपरेशन में लापरवाही हुई या फिर ऑपरेशन से पहले ललित को एनिस्थीसिया का हैवी डोज दे दिया गया, जिसकी वजह से उसकी मौत हुई।

Harish Upreti Karan

पिछले 20 वर्षों से दैनिक जागरण, हिंदुस्तान व अमृत विचार में पत्रकार के रूप में कार्य करने के अलावा चार काव्य संग्रह प्रकाशित, आकाशवाणी रामपुर व अल्मोड़ा से विभिन्न रचनाओं का प्रसारण, हिंदी फिल्म "यंग बाइकर्स" के लिए गीत लेखन, पर्यटन विभाग के लिए बनी डॉक्यूमेंट्री फिल्म "चंपावत एक धरोहर" की स्क्रिप्ट राइटिंग, कुमाऊनी फिल्म "फौजी बाबू", "पधानी लाली", रंगमंच के विभिन्न नाटकों में अभिनय, कुमाऊनी गीत "पहाड़ छोड़ दे" और "काली जींस" का लेखन व गायन, फिल्म राइटर्स एसोसिएशन मुंबई का सदस्य

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