युद्ध के बादल

चौदह मई उन्नीस सौ अड़तालिस; हुआ उदित इस्राइल देश।

यू.एन. प्रस्ताव फिलिस्तीन बंटा; जारी अरब/यहूदी कलेश।।

पूर्व में था ब्रिटेन आधिपत्य; सारा गल्फ तेल भंडार।

द्वितीय विश्व युद्ध से बदला; डेमोग्राफी, भूगोल संसार।।

चला विकास और विनाशी ; गजब लुका/छुपी खेल।

मैं ही जीऊं,खाऊं,रहूं; अनवरत संघर्ष खूनी झेल।।

वे उकसा युद्ध खुद भी शामिल;फिर बनें समझौता वीर।

सौदा शस्त्र परवान चढा; अभिनय गढें शान्ति तस्वीर।।

स्वयं न्यूक्लियर पावर वे ;कैसे बराबरी करो तुम।

उनको कतई बर्दाश्त नहीं;बस हिलाते रहो दुम।।

हम शत्रु को शीघ्र मशल देंगे; थी अमेरीकी,रूसी भूल।

जब दमखम लड़ें यूक्रेन,ईरान; हिल गयी खूब अब चूल।।

बेशक,मंहगाई व मौत के;कारण खनिज व तेल।

जान आफत ईंशा चालू; कुंआ/खाई का खेल।।

भीषण युद्ध इस्राइल/ईरान;यू. एन.नि:शस्त्रीकरण फेल।

मार मारैं जोर से रोने ना दें; है महशक्तियों का आमखेल।।

हों ईरान न्यूक्लियर प्लांट नष्ट;चाहें शातिर डोनाल्ड ट्रंप।

ईस्राइली कामना हो संग में; आयोतुल्ला खामेनेई का अंत।।

संभव अमेरिका,रूस,चीन में;हो अलिखित गुप्त संधि।

लड़ें विकाससील देश आपस; रूके विकास की ग्रंथि।।

क्षतिग्रस्त शिथिल पड़ेंगे ही; ईक दिन ईरान और इस्राइल।

मध्यस्थता यू.एन,इस्लाम ब्रदर;हो नरसंहार ,उथल- पुथल?

बेशक, होगा उग्र तापमान तेज;पर्यावरण का महाविनाश।

ओजोन लेयर जटायु सी घायल;जग संकट आभा ह्रास।।

हो रही पारिस्थितिकी तार-तार ; मानव सभ्यता भी उदास।

ए.आइ. तकनीक भरोसे जग;आलस मानव बुद्धि खलास।।

दक्षिणपंथ, पूंजी- साम्राज्यवाद; बन गए इलेक्ट्रोल किंग।

भ्रमित, ट्रम्प, वाम,तानाशाह;किंग जोंग,पुतिन, जिनपिंग।।

हैं ट्रम्प समर्थक युद्ध खिलाफ; करेंगे तीसरा दल गठन।

चीनी गिद्ध दृष्टि ताईवान पर;रूस, यूक्रेन पड़ा उलझन ।।

मिडिल ईस्ट सीज फायर की; वार्ता शामिल हुआ ईरान।

मिसाइल मार इस्राइल लहुलुहान;ईरान मोसाद से हलकान।।

स्क्रोपियस करे तरंगें गुल;बिजली, नॉन न्यूक्लियर इ.एम.पी।

ए. आइ.कौशल मचे त्राहिमाम; गजब!रोबोट लड़ेंगे युद्ध भी।।

छह बी. टू.अमेरिकी क्लस्टर बम;भीषण बम वर्षा किए ईरान।

हुए नष्ट न्यूक्लियर प्लांटस तीन; फोरडो,नतांज व ईस्फहान।।

मुराद पूरी अमेरिकी,इस्राइल; भौंचक्का! बेचारा स्तब्ध ईरान।

रहम कड़वा घूंट पी शांन्ति ईरान;छिड़ा विश्वयुद्ध विश्व विरान।।

गर मिडिल ईस्ट अमेरिकन कैंप; चूक से हो गए ,बमबार्ड।

सुनिश्चित हुआ विश्वयुद्ध तब; अंत खामेनेई ,बुशहर दो यार्ड।।

वे ढूंढ रहे पतली गली जल्दी ;बाहर निकलें इस युद्ध से।

क्षति जन, धन की हुई अपार; हैं शरणागत अब बुद्ध के।।बेशक,अब नहीं संभव विश्वयुद्ध;कयास पुरजोर लगेंगे रोज।

ओपन सेल लगेगी जेट,मरीन; मिसाइल,थाड,ड्रोन नई खोज।।

हाय!रोटी,कपड़ा हेतु मकान;श्रमिक लड़ें किसान, जवान।

वे चंद्र- मंगल पर ढूंढैं ठौर; अरमां फर्क बेहद जमीं-आसमान।।

एडवोकेट, ललित मोहन सिंह, जीना ( ललितदीप )

हल्द्वानी, नैनीताल, उत्तराखंड।

Harish Upreti Karan

पिछले 20 वर्षों से दैनिक जागरण, हिंदुस्तान व अमृत विचार में पत्रकार के रूप में कार्य करने के अलावा चार काव्य संग्रह प्रकाशित, आकाशवाणी रामपुर व अल्मोड़ा से विभिन्न रचनाओं का प्रसारण, हिंदी फिल्म "यंग बाइकर्स" के लिए गीत लेखन, पर्यटन विभाग के लिए बनी डॉक्यूमेंट्री फिल्म "चंपावत एक धरोहर" की स्क्रिप्ट राइटिंग, कुमाऊनी फिल्म "फौजी बाबू", "पधानी लाली", रंगमंच के विभिन्न नाटकों में अभिनय, कुमाऊनी गीत "पहाड़ छोड़ दे" और "काली जींस" का लेखन व गायन, फिल्म राइटर्स एसोसिएशन मुंबई का सदस्य